Friday, November 7, 2008

हमारी देस



हमरी हें यह देस ।
हम कहे इसे स्वदेस ।
चल चल करते हलचल चलते हल तू चल।
जल जल बनके ज्वाला तू जल जलादे दुश्मन के दिल ।

चोरी चोरी आए चोर चुराने अपने चारो ऑओर।
चुराने न देंगे उनको और। काटेंगे चोरीका डोर ।
बुलाना उनको होगई भूल बदल गए है सारे उसूल।
विद्या मन्दिर बनगया स्कूल
हमें नही है ये कुबूल ।
इस धर पर हर घर अन्दर बाहर खुशीकी है बहार।
पर वो आकर यूं मुसुककर चीन अपना घर बार।
पश्चिम के वो प्राणी क्या जाने पूरब की कहानी।
उगता सूरज ऊँचे ख्याल है हमरी नेशानी।

1 comment:

Unknown said...

it's super composition , little but revolutionary. sorry for lately comment. hindi main " der aye par durust aayen"